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Sunita Maheshwari

Others

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Sunita Maheshwari

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ऋतुराज बसंत

ऋतुराज बसंत

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आ रहा ऋतु राज देखो, छा रही शोभा बड़ी।

कोंपलें सुन्दर, मनोहर, हाथ जोड़ें हैं, खड़ी।

हैं खिली चंपा, चमेली, पुष्प की वर्षा करें।

ये कली यौवन बिखेरें, रूप नित नव ये धरें।


आम पर हैं बौर झूमें, कर रहे सत्कार हैं।

कूकती है पिक सुहानी, कर रही मनुहार है।

है खिली सरसों सुहानी, गा रही है रागिनी।

हाथ पीले कर रही हो, ज्यों सुकोमल कामिनी।



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