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Sunita Maheshwari

Abstract

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Sunita Maheshwari

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जिंदगी

जिंदगी

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उसके आने से दुनिया सँवरती रही।

माँ बन के बहुत नाज़ मैं करती रही।


नन्हा सा फूल आया जीवन में मेरे।

उसकी मुस्कान पर मैं तो मरती रही।


पहले-पहले कदम जो रखे उसने।

डगमग चाल पर कुर्बान होती रही।


उसके आने से दुनिया सँवरती रही।

माँ बन के बहुत नाज़ मैं करती रही।


घर आँगन ,मोहल्ला सब दीवाने हुए।

उसकी खुशबू से दुनिया महकती रही।


फूल पूरा चमन में जो खिलने लगा।

जश्न ए जोश से खुशियाँ बिखरने लगी।


उसके आने से दुनिया सँवरती रही।

माँ बन के बहुत नाज़ मैं करती रही।


एक तूफ़ान आया व सब लुट गया।

फूल माटी में मिलकर अमर हो गया।


उसके जाने से गम का बसेरा हुआ।

पल-पल मैं तो यों ही तड़पती रही।


उसके जाने से दुनिया बिखरती रही।

माँ बन के बहुत नाज़ मैं करती रही।


उसकी यादों के सागर में डूबी हुई।

मैं तो मर-मर के यों ही जीती रही।


रूह जिंदा है मरती नहीं है कभी।

इस यकीं से मैं बस संभलती रही।


उसके जाने से दुनिया बिखरती रही।

माँ बन के बहुत नाज़ मैं करती रही।


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