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Amita Mishra

Crime Inspirational

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Amita Mishra

Crime Inspirational

दोषी कौन

दोषी कौन

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मेरे सिर में दर्द है और मैं घुटने में मरहम लगा रहा हूं

ज़ख्म कही और है कही और दर्द बता रहा हूं


गुनाहगार को सही और सही को गुनाहगार बता रहा हूं

कलयुग है प्यारे पर सतयुग की बात गिना रहा हूं


गलती कोई और कर रहा है सज़ा किसी और को दिला रहा हूं

कुछ इस तरह मैं इंसान होने का फर्ज निभा रहा हूं


बलात्कारी, कसाई, मुजरिम को पाक साफ़ बता के

पीड़िता बेटियों को असली मुजरिम बता रहा हूं


लड़की ने उकसाया होगा कुछ तो कांड किया होगा

इस तरह मैं लड़कियों के हजारों दोष गिना रहा हूं


चुप रहना, सहना, घुट- घुट के जीना तुझको है बेटी

बेटों को कसाई और बेटियों को बकरी बना रहा हूं


हर नियम हर सवाल, हर सलाह लड़कियों के लिए है

बेटों के हर गुनाह पर मैं उसे बेगुनाह बता रहा हूं



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