Unknown Me

Tragedy Crime Others

4  

Unknown Me

Tragedy Crime Others

**बनके मैं आज़ाद परिंदा **

**बनके मैं आज़ाद परिंदा **

2 mins
8


बनके मैं आज़ाद परिंदा 

उड़ जाऊँगी एक दिन गगन में 

न देखूँगी पीछे मुड़कर 

बह जाऊँगी पवन में। 

तारों की बगिया देखूंगी 

ढूँढूंगी मैं चाँद का तारा । 

सपने मेरे गगन निहारूं 

फँस गई एक कहानी में। 

परियाँ -परियाँ करते-करते 

निकल गई जवानी ये। 

पत्थर में हीरे मिलते हैं 

पत्थर मारूं खंभे पे।

मिल जाएगी बिजली इससे 

या ले जाएँगे कंधे पे। 

HCL का इस्तेमाल करते हैं हाथों से 

क्या वही HCL का इस्तेमाल नहीं कर सकते उन आँखों पे? 

ना मिलेगा वरदान हमें मोमबत्ती जलाने से 

ना आएँगे कृष्ण नीचे द्रौपदी को बचा ने। 

चीख-पुकार सुनाई न देती है जिन कानों को 

मिथनॉल डाल के शुद्ध क्यों नहीं कर देते?

हालात हैं खराब या आँसू हैं फीके

दस लड़ाइयाँ करके सच्चाई ही ना जीते।

गंदे हाथों से नालियाँ साफ करा रहे हैं

वही नालियाँ आगे जा कर प्रचार करा रहे हैं।

गंगा में डुबकी लगा ने का कभी सोचा है क्या ?

अरे, पूछो ज़रा उन पापियों से, खुद को कभी नोचा है क्या ?

सच्चाई का ढोंग है यहाँ और ढोंगी बना भी सच्चा ही ।

ख़्वाहिश नहीं मेरी ताजमहल की

दे दो बस सुकून उन राहों पे 

जिन राहों पे बचपन में हम साथ खेलते थे।

सती से स्त्री तक का सफर सुहाना रहने दो

ना बनाओ ज़माना वैसा जहाँ सिर झुका के रहने हो ।

एक सवाल चलता मन में काफी सारे लोगों के

जिसपे हुआ है पाप, वो खुद सज़ा क्यों नहीं देती उन सारे लोगों को ?

क्यों लेते हैं बयान उसका और दस साल लगा ते हैं इंसाफ को ?

खैर, ये कविता मैं पूरी कर न पाऊँगी

क्यों कि जब तक कविता हो गी

तब तक एक हादसा हो चुका होगा कुछ ऐसा ही ।

ये सब सोच के डर गईं परियाँ भी ।

कहतीं ना जाओ इंसानी बस्ती में।

पर कैसे पोंछूँ वो आँसू जो शायद मेरी माँ के हैं? 

माँ , पापा , मैं ज़िंदा हूँ।

मिलना है मुझे आपसे।

ऊपर देखिए, यहीं हूँ मैं।

क्यों नहीं छू पा रहे मुझे?

भगवान का दर्जा था मेरा

बचा ना पाई अपनों को ।

बन गई अब आज़ाद परिंदा

इन हालातों में!!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy