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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Crime Fantasy Inspirational

4  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Crime Fantasy Inspirational

कसमसाहट जिंदगी की

कसमसाहट जिंदगी की

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जिंदगी रोज ब रोज 

कसमसाती है 

श्वास भी इसको बहुत 

दिक्कत से आती है 

इंसानियत का इंसानियत

से भरोसा उठ गया 

रोज़ रोज़ लड़ती है 

और हार जाती है जिंदगी।


कली अनेको हैं जो 

कभी फूल बन ही न सकीं 

फूल लाखों हैं जो 

कभी खिल ही न सके। 

अरमान दिल में दफ़न 

लिए रोज़ के रोज़ झड़ जाते हैं। 

जिंदगी रोज ब रोज 

कसमसाती है 

श्वास भी इसको बहुत 

दिक्कत से आती है 

इंसानियत का इंसानियत 

से भरोसा उठ गया 

रोज़ रोज़ लड़ती है 

और हार जाती है जिंदगी


मुझे इन हालातों को कविता में 

सहेजने का कोई शौक नहीं। 

हमेशा के लिए नकारात्मक 

शब्दों को चुन २ साहित्य को 

सौंपने का कोई शौक नहीं। 

मैं भी चाहता हूँ आराम से 

जीना खुशनुमा जिंदगी। 

शराफत से भरा हो माहौल 

संग दिल में हो सादगी। 


हो नहीं पाता है क्यों ऐसा, 

क्यों है आपस में 

सबकी इतनी खुद की

जिंदगी रोज ब रोज 

कसमसाती है 

श्वास भी इसको बहुत 

दिक्कत से आती है 

इंसानियत का इंसानियत 

से भरोसा उठ गया 

रोज़ रोज़ लड़ती है 

और हार जाती है जिंदगी


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