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KARAN KOVIND

Crime

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KARAN KOVIND

Crime

रगो में दौड़ता संविधान का अक्षर

रगो में दौड़ता संविधान का अक्षर

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मुझे विश्वास नहीं होता कि 

उनकी रगो में दौड़ता है संविधान का अक्षर

उनकी मस्तिष्क में भी है देश के लिए विचार

बड़े ही अनुशासित है चींटी की पंक्ति में चलते हैं

घोघो में घुसते हैं और दखेज का अर्थ पूछते है

और घोड़े की पूंछ हिलाते हैं


अरे कल वहीं लोग थे जिन्होंने

सांसद भवन की दफ्तर से सौ फाइलें चुरायी थी

मुझे पता नहीं कि वहां है कोई दफ्तर 

वहां होगी किसी कि फाइलें

पर सच कहता हूं उनमें अनुशासन है और 

ऐब भी है

कल रात उन्होंने दही जमायी थी परसों रात 

दही को कूड़े की पेट में फेंका था

जबकी एक बिल्ली अपने आंतें फैलाये

चौक पर पर लेटी थी

एक कुत्ता जबड़े में नमक रख कर दही का इंतजार कर रहा था

और एक बुढ़िया कि आंतें 

चीख रही थी उसकी फेफड़ों में भर गया था गंदला पानी

किडनी से असहनीय भूख कि बदबू आ रही थी

आंखों में लेजर कि तरह दूध कि जमी दही चमक 

रही थी


उसे बिल्ली को दिया जा सकता था

उसे कुत्ते के जबड़ों में जड़ा था सकता था 

उसे उस बुढ़िया कि झोली में डाला जा सकता था

उसे धरती की आवश्यकता नहीं थी न कूड़े को

बिल्ली रो रही है

कुत्ता रो रहा है

बुढ़िया भीख मांग रही बुढ़िया बोलती है

कुत्ते भौंकते हैं

बिल्लियां भी म्याऊं म्याऊं करती है मगर खाना 

नहीं मांगती वो ऐसी ही दबोचती है 

दूसरे के खाने


जबकि बिल्लियां अनुशासित है

पर उसे संविधान नहीं पता

बुढ़िया दबोचती नहीं उसे अनुशासन पता है

और अनुशासन से केवल भूख नहीं पचता 

उसके लिए ऐबी बनना पड़ता है।

कुत्ता जो ऐबी है भी और नहीं भी

इस लिए उसे एक वक्त का खाना मिलता 

बुढ़िया भूखी रह जाती जब की

उसे संविधान अनुशासन सब पता है



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