बीकती औरत सरेआम।
बीकती औरत सरेआम।
है एक डर ऐसा,
जहां बिकती औरतों,
ओर बच्ची की इज्जत,
कहते है सब उसे
कोठा।
मजबूर लाचार,
औरतों को कर,
देते हे मजबूर,
अपने हवस की,
भूख मिटाने आते,
है कई लोग,
न देखते कितनी,
मासूम होती हे
ये बच्ची या
औरतें,
बस अपनी हवस,
मिटा के फेंकते,
पैसे इस कदर,
जैसे खरीद लिया
हो उन्हें,
इतनी बेदर्दी भला,
कौन सहे,
औरत ही औरत,
की बनती दुश्मन
देखो।