मिट्टी और नदी से इश्क की कविता भूल न जाना भीड़ से सिकुड़ते आसमान में। मिट्टी और नदी से इश्क की कविता भूल न जाना भीड़ से सिकुड़ते आसमान में।
किसी को चाँद में दाग नज़र आता है तो कोई उसे माहताब कहकर बुलाता है किसी को चाँद में दाग नज़र आता है तो कोई उसे माहताब कहकर बुलाता है
फिर भावनाएं जाग उठी, सोलह साल सी। फिर भावनाएं जाग उठी, सोलह साल सी।
सांसद भवन की दफ्तर से सौ फाइलें चुरायी थी मुझे पता नहीं कि वहां है कोई दफ्तर वहां हो सांसद भवन की दफ्तर से सौ फाइलें चुरायी थी मुझे पता नहीं कि वहां है कोई दफ्तर ...