कहाँ घूम रहा था बचपन उसका ग़रीबी के लिबास में सोच कर भी ना लगा पाया हिसाब मैं कहाँ घूम रहा था बचपन उसका ग़रीबी के लिबास में सोच कर भी ना लगा पाया हिसाब मैं
आपने तो हमें कूड़ा ही समझा ! कूड़े के ढेर की तरह आपने निकाला अपने महानगर से ! आपने तो हमें कूड़ा ही समझा ! कूड़े के ढेर की तरह आपने निकाला अपने महानगर ...
मैंने क्या बना दिया सोच कर इसको मन मेरा असाध्य है मैंने क्या बना दिया सोच कर इसको मन मेरा असाध्य है
अब मेरी दुनिया बदल रही है हो सकता है सही कह रहे हों कल पता नहीं क्या हो, अब मेरी दुनिया बदल रही है हो सकता है सही कह रहे हों कल पता नहीं क्या हो,
मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ? मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ?
शुद्धता लाते वातावरण में, अपने धर्म को बखूबी निभाए शुद्धता लाते वातावरण में, अपने धर्म को बखूबी निभाए