जिस दर्द को छुपा कर रखा था जो इशारे समझ ना सका कभी जमाना जिस दर्द को छुपा कर रखा था जो इशारे समझ ना सका कभी जमाना
मैं रोती थी घुटन से हर रोज़ पर किसी को परवाह ना थी मैं रोती थी घुटन से हर रोज़ पर किसी को परवाह ना थी
रोटी कपड़ा और मकान की जरूरत पूछ लेना, उस यतीम से रोटी कपड़ा और मकान की जरूरत पूछ लेना, उस यतीम से
मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ? मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ?
कोई मांग हो सूनी ,न ही बच्चे यतीम हों । और हर बहन की राखी को ,कलाई नसीब हो ।। कोई मांग हो सूनी ,न ही बच्चे यतीम हों । और हर बहन की राखी को ,कलाई नसीब हो ...