जिस दर्द को छुपा कर रखा था जो इशारे समझ ना सका कभी जमाना जिस दर्द को छुपा कर रखा था जो इशारे समझ ना सका कभी जमाना
दीवारों में फँसा वो इंसानी अक्स देखा दीवारों में फँसा वो इंसानी अक्स देखा
अर्जुन ने तब निकाला है तरकश से सर, झट पितामह के सर को है ऊँचा किया। अर्जुन ने तब निकाला है तरकश से सर, झट पितामह के सर को है ऊँचा किया।
लड़की हो, लड़का नहीं, घर में हँसो, बाहर हँसना नहीं, अरे ये दुनिया जीने ही कहाँ देती है, लड़की हो, लड़का नहीं, घर में हँसो, बाहर हँसना नहीं, अरे ये दुनिया जीने ही कह...
मंजिल तो आज है, फिर किस लिए तड़पते हैं मंजिल तो आज है, फिर किस लिए तड़पते हैं
आंखों से तुम ओझल न होना हम तो तड़पते ही रह जाएंगे ! आंखों से तुम ओझल न होना हम तो तड़पते ही रह जाएंगे !