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Saumya Singh

Inspirational Others

4.5  

Saumya Singh

Inspirational Others

Unvoiced heart

Unvoiced heart

2 mins
216


दिल की स्याही में पहले भिगोते हैं,

फिर कलम से अपने भाव सँजोते हैं,


देखा नहीं कभी, नाचते हैं ये मेरे अल्फ़ाज़ ,

तो कभी मेरे ही आँसुओं में भीगे होते हैं....


एक लड़की के अस्तित्व.. पर समर्पित चन्द पंक्तियाँ...

आशा है आप इससे सहमत हों,  

मेरे( सौम्या सिंह) की अल्फ़ाज़ों से .....


अपने वजूद में ज़िन्दा, खुद को कहीं ढूंढ़ रही हूं मैं,


क्यों एक लड़की, कोख में दफन और

ज़िन्दा जलाई जाती है?

क्यों सुनसान सड़कों पर, निर्भया बनाई जाती है?

समाज के तानो से मैं, हर पल जूझ रही हूँ...

अपने वजूद में ज़िन्दा....खुद को ढूंढ़ रही हूँ...


लड़की हो, लड़का नहीं, घर में हँसो,

बाहर हँसना नहीं,

अरे ये दुनिया जीने ही कहाँ देती है,

बाहर तो छोड़ो, घर में भी लड़कियाँ 

दबायी जा रहीं,

अरे लड़कों के सौ गुनाह माफ करने वाले,

मेरी छोटी छोटी कमियों को..

Too much कहने वाले...

तुम होते कौन हो हमें रोकने वाले,??

 मैं ये करूँ, ये ना करूँ ,

अरे मैं क्यों डरूँ, किससे डरूँ?

ये भैया का काम है, तू घर पे रहना,

बड़ी हो गयी, बाहर न निकलना ,

ये पहनो ये ना पहनो,

ये कर सकती हो, ये नहीं ,

शाम को मत निकलो बाहर.

दुनिया खराब है।।

दबके रहना, सहन करना सीखो,

अपने हक जानते हुए भी मुंह बन्द रखना,

बस जो कहूँ वो ही करना,

बेटी हो ,बेटी जैसे रहना ,


अगर गलती मैंने की, तो फैसले लेने वाले,

तुम होते कौन हो?

हमपर अधिकार दिखाने वाले।।

हाँ आज इस समाज की छोटी संकीर्ण सोच 

ही है जो मैं आज आवाज उठा रही थी..

पर तुम होते कौन हो? मेरी आवाज बन्द करने वाले?

कपड़े पे पाबन्दी लगाने वालों,

मैंने तो सुना है, बुर्के में भी लड़कियां सेफ नहीं..

अरे बेटा बड़ी हो गयी हो..... शाम को बाहर न जाओ

अरे मैंने दिन दहाड़े भी लड़कियों को तड़पते देखा है


मेरी इतनी care करने वाले,

तुम होते कौन हो ?

तुम होते कौन हो, मेरे फैसले लेने वाले।।

उनकी बेटी ,उस लड़के से बात करती है.....

And all........

क्या तुम्हें और कोई काम नहीं ?

क्या तुम ही हो जागरूक, हितैषी समाज वाले,?

अरे ऐसी सोच रखने वालों एक विनम्र निवेदन सुनो.......

Ladies first का तमगा नहीं चाहिए,

लड़कों से आगे बढ़ के उन्हें दबाना नहीं हमें

अपितु हमें कदमों से कदम मिलाकर एक बराबर चलना है,


अब हम कितने उदाहरण लाएं?

हमसे ही अस्तित्व तुम्हारा ।।

तो हमें ही अस्मिताहींन और अस्तित्वहीन करने वाले,

तुम होते कौन हो हमें रोकने वाले ?

किचन ही नहीं देश की रक्षा के लिए

हम राफेल तक उड़ा रहें(शिवांगी सिंह)


अपने वजूद में ज़िन्दा, खुद को कहीं ढूंढ़ रही हूँ मैं।।


धन्यवाद।



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