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Kapil Jain

Tragedy

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Kapil Jain

Tragedy

बेटी बनी मैं मेरा क्या कसूर

बेटी बनी मैं मेरा क्या कसूर

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बेटी बनी मैं मेरा क्या कसूर

क्यों फेंक गया मुझे कूड़े करकट में दूर

औरत मर्द के देह सुख से उपजी हूं मैं

उस औरत मर्द के लिये मैं कुछ भी नहीं थी

इसी लिये उन्होंने मुझे फेंक दिया कूड़े करकट में


फेंके जाने के बाद फंसी गन्दगी में

और आ गई किसी नजर में

फेंके जाने का दर्द है बहुत बड़ा दर्द

मेरे जिस्म पर भी और मन पर भी

लोग कह रहे हैं

अब मेरी दुनिया बदल रही है

हो सकता है सही कह रहे हों

कल पता नहीं क्या हो,


यह दर्द कम हो जाये या

जानलेवा हो जाए

मुझे नाम मिल गया है करूणा

कोई गोद भी मिल जायेगी

फिर भी मैं सोचूंगी

आखिर मुझे क्यों फेंका गया कूड़े कचरे में

क्या मैं बेटी थी इस लिये

वो बेटी जो भाई के

लंबी उमर के लिये दुआ करती है

वो बेटी घर आंगन का करती है ख्याल

अपनी आखिरी सांस तक...


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