सोहार्द प्रेम की होली
सोहार्द प्रेम की होली
रंग दी तुमने मेरी चुनरिया
भीग गई मेरी चोली
तुम हो कितने निष्ठुर साजन
सजनी साजन से बोली ,
प्रेम रंग में रंग जाने का
नाम है प्रीत की होली
अंग अंग पर रंग बरसाने
आती है प्यारी होली ,
प्रीत रंग से रंगने वाले को
मैं क्यों निष्ठुर बोली
समझ गया मैं कितना पावन
है त्यौहार ये होली ,
अलग –अलग रंगों के
फूल चमन मैं
तो क्यों ना खेले हम
सौहार्द प्रेम की होली,
तब सजती है सकल विश्व में
मानवता की रंगोली,
मेरे प्रिय आओ मिलकर
खेलें हम भी ऐसी होली,
प्यार प्रेम के रंग से भर जाये
सबके मन के रंगों की ये झोली!