यादों का शहर फेसबुक
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ये यादों का शहर है फेसबुक
यहाँ यादों के फूल खिलते है,
यहाँ यादों की खुशबू लहलहाती
यहाँ यादों की महफ़िल सजती है
यहाँ याद सिसकियाँ भरती है
तन्हाईयाँ बिखेरती है
वो यार दोस्तो में
यहीं यादें बैठकर सपनों के
महल बनाती है
यहां पर
खण्डहर की दीवारों पर ,
खुद का तराशा नाम ढूंढते हम
यादों की बारिशें
भिगोती हरदम,
यहाँ के फूल भी नश्तर चुभाते है,
यहाँ के खंज़र के मंजर भी
फूल से लगते है
कभी …
यादों के शहर में कितनी भीड़
लगी रहती है,
कौन कहता है की दिल की जगह
छोटी है,
शहर बसा कर यादों का,
हर मौसम बिखरता है,
तो फिर कभी सर्दी में सुलगाता है,
एक खिलखिलाता शहर है ये,
बस मन के मौसम के आईने सा,
दिल का अक्स
इस शहर के हर नुक्कड़ पर
उभर कर आता है …
ये यादों का शहर है …
फेसबुक....