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Kapil Jain

Others

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श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि

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मन बहुत ही उदास है क्यों?

पास सिर्फ अकंल की याद है

मन की बेचैनी, आपकी की कमी

तड़पाता खालीपन, बोझिल सांझ 

बस यूँ ही यादें दिल में समेटे सोचता हूँ

टूटी शायद आज हिम्मत की दीवार है


सच पूछो तो अब पता चला कि

जिम्मेदारी का बोझ मेरा कितना भारी था 

मैं पराया खुद से ज्यादा आपको प्यारा था

दौड़ते पड़ते थे कदम मेरे

मुश्किलों से बचाते बचाते

पकड़ने को थे तैयार 

मेरी जिन्दगी की रफ्तार

आज मेरा जैसे तैसे गुजर रहा था 

कल की तैयारी ले ली थी आपने अपने हाथ


अब आपकी मजबूरी का

मुझे एहसास होता है

दुनिया होती है मतलबी

घर का एक शख्स खास होता है

उसमें आपका अक्स ही साफ

दिखता है


हर डांट में आपकी प्यार जो रहता था

वो याद बहुत अब आता है

हर बीता लम्हा अब तो बस

आंखों में आसूं लाता है

तस्वीर बसी है दिल में जो

जीवन से लड़ने का हौंसला देती है

इसी तरह से बस अब तो

ये वक्त गुजरता जाता है


आपकी की कमी

तड़पाता खालीपन बोझिल 

बस यूँ ही यादें दिल में समेटे 

ये वक्त गुजरता जाता है

ये वक्त गुजरता जाता है


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