पहला प्यार
पहला प्यार
अक्सर तेरा साया
एक अनजानी धुंध से
चुपचाप चला आता है
और मेरी मन की चादर में
सिलवटे बना जाता है …
मेरे हाथ ,
मेरे दिल की तरह कांपते है ,
जब मैं उन सिलवटों को
अपने भीतर समेटता हूँ …
तेरा साया मुस्कराता है
और मुझे उस जगह छू जाता है
जहाँ तुमने कई बरस पहले
मुझे छुआ था ,
मैं सिहर सिहर जाता हूँ ,
कोई अजनबी बनकर तुम आते हो
और मेरी खामोशी को
आग लगा जाते हो …
तेरा एहसास मेरे चादरों में
धीमे धीमे उतरता है
मैं चादरें तो धो लेता हूँ
पर मन को कैसे धो लूँ
कई जनम जी लेता हूँ
तुझे भुलाने में ,
पर तेरी मुस्कराहट ,
जाने कैसे बहती चली आती है ,
न जाने, मुझ पर कैसी
बेहोशी सी बिछा जाती है …
कोई पीर पैगम्बर
मुझे तेरा पता बता दे ,
कोई माझी ,
तेरे किनारे मुझे ले जाए ,
कोई तुझे फिर मेरी चाह बना दे..
या तो तू यहाँ आजा ,
या मुझे वहां बुला ले....