कहीं किसी रोज़
कहीं किसी रोज़
कहीं किसी रोज़ कुछ हुआ यूं था।
न जाने रब ने ऐसा किया क्यूं था।
जब हम दोनों पहली बार मिले थे।
हम वहां चार दोस्तों संग मिले थे।
तुम तीन सखियों के साथ मिलीं।
अंखियाँ अंखियों के साथ मिलीं।
तुम हमें देख कर मुस्कुराने लगीं।
कभी तुम हमसे नज़रें चुराने लगीं।
तुम्हें देखने के मौके तलाशने लगे।
तुम हम को दीवाना सा बनाने लगे।
हमारी तुम से मुलाकातें बढ़ने लगीं।
फिर हमारी नज़दीकियां बढ़ने लगीं।
हम तुम्हारा हाथ भी थामने लगे।
हमारे दिल आपस में बतियाने लगे।
हम तुम से प्यार बढ़ाने लगे।
प्रेम की कसमें भी खाने लगे।
प्यार के नग्में गुनगुनाने लगे।
हम इतना तुमको चाहने लगे।