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ritesh deo

Romance

4  

ritesh deo

Romance

तुम और तेरा ishq

तुम और तेरा ishq

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न जानें क्यूॅं ये कभी-कभी लगता है,

तू पढ़ ले मेरा चेहरा और मुझे गले लगा ले,

ताकि भूल जाऊं मैं दुनिया से मिली शिकस्त,

झूठे वादों की पोटली,

ढेर सारी चिंताएं,

असफलता का डर,

अधूरा सफर।


न जानें क्यूॅं कभी-कभी ये लगता है

स्नेह से चूम ले तू मेरा माथा,

और मैं भूल जाऊं सारी थकन,

लोगों को मेरी तरक्की से होती जलन,

अपनों की उम्मीदों पर खरा उतरनें की लगन,


न जानें क्यूॅं ऐसा लगता है,

कोई लम्हा हो,

वक्त तन्हा हो,

दुनिया के कोलाहल से दूर 

बस तू मेरे साथ हो,

मेरे हाथों में तेरा हाथ हो,

तेरी धड़कनें मेरे कानों का श्रृंगार हो।


तू मेरे आँसू समझे,

और मैं बनूं तेरी मुस्कान जब तू उदास हो।

हां वो लम्हा मुझे चाहिए 

जब दुनिया के सारे कोलाहल से दूर 

बस तू मेरे पास हो।।



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