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V. Aaradhyaa

Romance

4  

V. Aaradhyaa

Romance

मेरा सहारा

मेरा सहारा

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मुझे बीच राह में अब छोड़कर कभी भी मत जाना !

तुम ही हो मेरा सहारा, मुझसे मुँह मोड़कर नहीं जाना !!


हाथ ज़ब थामा है, मेरा तब कभी छुटने नहीं देना !

साथ तुम मेरा दो और कभी आस टूटने नहीं देना !!


जीवन में ये जो प्रेम की कलकल नदियां बहती हैं !

तेरी बातें मुझसे हर मौज में वो यही तो कहती हैं !!


महकता रहे प्रीत का यह खूबसूरत सा हरसिंगार !

कर दिया मैंने उनसे खुलके मोहब्बत का इज़हार।


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