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सोनी गुप्ता

Abstract Romance Inspirational

4.7  

सोनी गुप्ता

Abstract Romance Inspirational

तुम्हारे इंतजार में

तुम्हारे इंतजार में

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तुम्हारे इंतजार में रात भर कश्तियों में घूमता रहा

तुम ना आये प्रिय मिलने नीर नयनों से बहता रहा


हर तरह से यत्न कर मैंने तुम्हें मिलने यहाँ बुलाया

प्यार से कभी मनुहार से तुम्हें आवाजें मैं देता रहा


दिन से कब शाम कब रात हो गई कुछ ध्यान नहीं

पलकों में नींद नहीं अकेला ही रात भर जगता रहा


इन्तजार में तुम्हारी मैंने यादों के दीप इतने संजोये

रात भर इन दीपों को कभी जलाता कभी बुझाता रहा


बुलाया जिसे वो तारा व्योम में कहीं ना दिखा मुझे

अपने मन की व्यथा रात भर कश्ती को सुनाता रहा


अश्रु मेरे ही विरह के गीत बनकर आँखों से बहने लगे

अंत समय आ गया मैं साँसों का ऋण यूँ चुकाता रहा।


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