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Kapil Jain

Others

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याद आयेंगे ये पल

याद आयेंगे ये पल

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याद आएंगे ये 

चुलबुले से कुछ पल

दुनिया के झमेलों से 

थक हार कर

जब उठाएंगे 

पुरानी डायरी

सच बहुत याद 

आएंगे ये पल


सुबह बहुत देर से 

होती थी अपनी

चाँद बहुत देर तक

रौशन रहता था 

अपने साथ

पहले सूरज से 

अपनी दोस्ती थी

मगर अब 

बड़े हो गए थे हम

चाँद के साथ..


अपनी अच्छी 

बनने लगी थी

सच बहुत याद

आएंगे ये पल

जब थक हार कर 

लौटेंगे घर

ज़िंदगी के झमेलों 

से उकता कर

जब पुरानी यादें

खंगालेंगे

लबों पर मुस्कुराहट 

और आंखों में आँसू

रेंगने लगेंगे खुद ही


बिछड़े परिंदों की

याद में

डाल-डाल, 

रात-रात साथ-साथ

उड़ते रहते थे 

जिनके संग

सच बहुत याद 

आएंगे ये पल

जब थक हार कर 

उठाएंगे पुराना अल्बम

मगर तब

जिंदगी की ज़रूरतें 

उसे देखने की 

फुर्सत नहीं देंगी



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