इत्र हमारा हो...
इत्र हमारा हो...
यूं महक उठते है हम ,
जब जिक्र आपका हो ,
खुशबू इतनी फैल जाती है ,
जैसे इत्र हमारा हो ...
समेटना चाहते है आपको ,
अपनी बाहो मे हमेशा ,
घबरा जाते है लेकिन ,
ये मोहब्बत जाया ना हो ...
कसम लेते है आपकी ,
अब ना कोई और हो ,
बस नाम आपके हो गये ,
खत्म आप पे ही हो ...
हमें ही गुनगुनाना हर पल ,
लफ्ज बन के ओठों पे सजेंगे ,
अगर ना हो बाते तो ,
कागज पर भी हम ही हो ...
लम्हा लम्हा हमारा ,
अब आपका हो ,
जिंदगी यूं ही सिमटे बांहों में ,
गम का ठिकाना ना हो ...

