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AVINASH KUMAR

Romance

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AVINASH KUMAR

Romance

तुम्हे ढूंढना

तुम्हे ढूंढना

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तुम्हे ढूंढना खुद के

खो जाने जैसा है

जिसमे तुम नही हो

और मैं भी नही हूँ

और फिर भी जैसे सबकुछ है।


"एक नदी बह रही है

मैं तुम्हारा बहना देख रहा हूँ

किनारे पे कुछ मिट्टी है

मैं तुम्हारा सरकना देख रहा हूँ

हल्की हल्की हवा चल रही है 

मैं तुम्हारा उड़ना देख रहा हूँ

गुलमोहर का एक पेड़ है 

मैं तुम्हारा महकना देख रहा हूँ

आंखों के दरीचों में मैं 

तुम्हारा सिमटना देख रहा हूँ

ख्वाबों का एक समंदर है 

तुम्हारी यादों का 

साहिल की नुमाइश में

मैं खुद का डूबना देख रहा हूं

ना जाने कितना दूर चला आया 

मैं तुमसे और फिर भी 

तुम्हारी ही यादों में बिखरना देख रहा हूँ।"

सच मे तुम्हे ढूंढना खुद के खो जाने जैसा है


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