मोहब्बत के सफर में
मोहब्बत के सफर में
संग संग चलने की चाह मन में बसे
निश्छल हो मन मोहब्बत के सफर मे
वासना को मन में न घर करने दे
निष्काम हो मन मोहब्बत के सफर में
दुख सुख संग संग सहते रहे।
एक दूजे से मन की कहते रहे ।
एक दूजे के मन की करते रहे ।
मन मिलन से ही मन भरते रहे ।
साथ न छोड़े कभी एक दूसरे का
मोड़ हो चाहे जितने डगर में ।
प्रलोभन जग चाहे जितने भी दे
कभी भी न झोली अपनी भरे ।
लाख तूफांन लाये जग राहो में ।
मिलकर सामना दोनो करते रहें।
संग संग जीने और संग संग मरने
का वादा करें मोहब्बत के सफर में ।
पैरो पर अपने दोनो हो खड़े ।
फिर हक के लिये जग से लड़े ।
जहाँ मे अपना एक मुकाम गढ़े ।
उन्नति की नित नई सीढ़ियां चढ़े ।
हाथ पकड़ कर चले मोहब्बत के सफर में ।
शक एक दूसरे पर कमी न करे ।
दोष एक दूसरे पर कभी न धरे ।
विश्वास की डोरी कसके पकड़े रहे ।
लाख कोशिश जमाना करता रहे ।
तभी मंजिल मिलेगी मोहब्बत के सफर में ।

