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बेज़ुबानशायर 143

Romance

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बेज़ुबानशायर 143

Romance

मोहब्बत के सफर में

मोहब्बत के सफर में

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संग संग चलने की चाह मन में बसे

निश्छल हो मन मोहब्बत के सफर मे 


वासना को मन में न घर करने दे

निष्काम हो मन मोहब्बत के सफर में


दुख सुख संग संग सहते रहे।

एक दूजे से मन की कहते रहे ।


एक दूजे के मन की करते रहे ।

मन मिलन से ही मन भरते रहे ।


साथ न छोड़े कभी एक दूसरे का 

मोड़ हो चाहे जितने डगर में ।


प्रलोभन जग चाहे जितने भी दे

कभी भी न झोली अपनी भरे ।


लाख तूफांन लाये जग राहो में ।

मिलकर सामना दोनो करते रहें।


संग संग जीने और संग संग मरने 

का वादा करें मोहब्बत के सफर में ।


पैरो पर अपने दोनो हो खड़े ।

फिर हक के लिये जग से लड़े ।


जहाँ मे अपना एक मुकाम गढ़े ।

उन्नति की नित नई सीढ़ियां चढ़े ।


हाथ पकड़ कर चले मोहब्बत के सफर में ।

शक एक दूसरे पर कमी न करे ।


दोष एक दूसरे पर कभी न धरे ।

विश्वास की डोरी कसके पकड़े रहे ।


लाख कोशिश जमाना करता रहे ।

तभी मंजिल मिलेगी मोहब्बत के सफर में ।

      


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