कितने आँसू और अभी
कितने आँसू और अभी
दर्द-ए-ज़ख्म देकर तुम तो चले गए,
दर्द-ए-दिल छोड़कर तुम तो चले गए,
दर्द-ए-आँसू देकर तुम तो चले गए,
मोहब्बत-ए-दर्द देकर तुम तो चले गए,
मैंनें तो तुम्हें भूलाकर जीना सीख लिया,
लेकिन इन आँखों के आँसू तुम्हें अभी याद करते हैं।