STORYMIRROR

sadhna Parmar

Abstract Comedy

3  

sadhna Parmar

Abstract Comedy

ख़ामोशी की जुंबा

ख़ामोशी की जुंबा

1 min
207

सबका अपना अपना तरीका होता है,

अपनी बात कहने का,

कोई धीरे-धीरे कहता है,

कोई चिल्ला चिल्ला कहता है,

कोई मधुर बोलकर कह जाता है,

कोई कड़वाहट के साथ बोलकर देता है,

कोई प्यार से समझाकर कहता है,

कोई गुस्सा करके बोल जाता है,

कोई कुछ ना बोलकर भी बहुत कुछ कह जाता है,

ये ख़ामोशी की भाषा कहाँ कोई समझ पाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract