STORYMIRROR

sadhna Parmar

Fantasy Others

3  

sadhna Parmar

Fantasy Others

यादें आँगन की

यादें आँगन की

1 min
187

पा पा पगली कर के पहला कदम बढ़ाया,

इस आँगन में,

दादाजी की उंगली पकड़कर चलना सीखा,

इस आँगन में,

पापा के साथ दौड़कर मैं जीत भी गई,

इस आँगन में,

बड़े भाई के साथ खेलना सीख गई,

इस आँगन में,

छोटे भाई के साथ झगड़ा भी किया,

इस आँगन में,

सहेलियों के साथ नाच गान भी किया,

इस आँगन में,

छोटी सी गुड़िया बनकर आई थी,

इस आँगन में,

आज बड़ी हो गई और बिदाई भी कर दी,

इस आँगन में,

ढेर सारी यादें और बातें जुड़ी है मेरी,

इस आँगन में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy