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KARAN KOVIND

Inspirational

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KARAN KOVIND

Inspirational

बोधिसत्व भाग १

बोधिसत्व भाग १

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203


बुद्धं शरणं गच्छामि,

ध्मंधं श शरणं गच्छामि,

संघं शरणं गच्छाछमि।"

"मद्यं शरणं गच्छामि,

मांसं शरणं गच्छामि,

डांसं शरणं गच्छामि।"


नमन करता प्रभु नमन प्रथ्वर

सुने प्रभु प्रभा कलरव

सुने प्रभु उर कि विलरव

जगत्प्रात सर्वोसत्व प्रथ्व

सुन्दर गर्जितमय तथ्य

धर्म पूर्ति नमन प्रथ्य

सुने प्रभु विभा गुंजार

गायेगा संसार सत्वर


अपनी ग्यानोदय सर्वभाव

प्रभु धर्म कर गये निर्वाण

निर्वाण निर्वाण निर्वाण

आपकी ग्यानज्योत गर्जित

हिंदू धर्म किया सृजित

प्रवाण प्रवाण प्रवाण


आपने प्राप्तकर समृध्द

गीत गाये धृत धर्म वृध्द

शरण में जाते प्रत्येक

शरण को पाते अनेक

कल्याण कल्याण कल्याण

होता सतत कल्याण

नमन प्रभु करता नमन सत्वर


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