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KARAN KOVIND

Tragedy Inspirational

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KARAN KOVIND

Tragedy Inspirational

एक कमरा

एक कमरा

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लीपते हुये 

चौबारे को

पूरा घुंघट काढ़े

हाथों में चूड़ियां

एक हाथ में रंग

दूजे में दुनिया


कड़ाके की ठंड

कंपते है बच्चे

कच्ची जमीन पर

मिट्टी के दीवार 

के नीचे

खपडे से छनकर 

आता है कोहरा

बिल्कुल घूप्प

अंधेरा


बगल में लकड़ियां 

एक कुंदा सौ कंड्डियां

समूचे में 

एक कमरे में

फूसो की चादर है।

कमजोर रजाईयां

तकिये ईटे के

जो है पैरों के

नीचे 

मां बाप तीन बच्चे

एक कमरा


सौ कड्डिया 

एक कुंदा 

एक बिस्तर

कच्चा दीवार कच्ची मिट्टी

4 डिग्री सेल्सियस

बस में बैठा मै देखता हूं

ठंड से पैर अकड़ गयी

चार स्वेटर के 

साथ कांपता हूँ।


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