वो पल भर की खुशी वो पल भर का प्यार
वो पल भर की खुशी वो पल भर का प्यार
वो पल भर की खुशी
वो क्षण भर का प्यार
न जाने क्यों गुम हो गये किसी
एक अचेतक सपने कि तरह
जीवन की बेला मुरझायी
किसी विस्मित छाया की तरह
अंदर की धानों को घुन काटे जा रहे
बीज की अंतड़िया को खाते जा रहे
जिन्हें मिलनी थी धूप गले जा रहे
निराशाओं की सड़कों पर चले जा रहे
कोई किरण आके दे दे एक आग
पंखों में बाकी अभी भी उड़ान
चाहे वो हो कोई छोटी चिराग
ज़मीं पर गिरा एक अद्भूत विकार
रौशन न हो फिर भी सुलगा दे राख
बची हो दया तो कर करूणावान
वो पल भर की खुशी
वो क्षण भर का प्यार।
