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shaily Tripathi

Crime Inspirational

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shaily Tripathi

Crime Inspirational

कटते जंगल, जलते तन- मन

कटते जंगल, जलते तन- मन

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काट दिये लालच में आकर इस जंगल के वृक्ष अनगिनत

सोचा नहीं कहाॅं जायेंगे इस वन के पशु- पक्षी तरु बिन

छाया थी, फल भी लगते थे, धरती में थे जल को रोके

कितना करते हित साधन ये, वृक्ष किसी को कभी न टोके

तब भी तुमने काट दिये हैं, वृक्ष धरा के बहुत अनोखे

तपती धरती चढ़ता पारा, गर्मी से जग तपता सारा

नर रोता है, वर्षा कम है, सूख गया है भू- जल सारा

जीव- जन्तु व्याकुल जंगल के, छाया नहीं, नहीं है खाना

तपती धरती और धूप में, सोया है बंदर बेचारा 


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