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Nalanda Wankhede

Tragedy Crime

2.5  

Nalanda Wankhede

Tragedy Crime

आसिफा

आसिफा

2 mins
248


सुना करते थे मंदिरों में,

बसते हैं भगवान,

होती है पूजा-अर्चना

और होता है अनुष्ठान।


सुना करते थे मंदिरो में,

पावन होता है वातावरण,

वासना की हो जाती है होली,

बरसता है अध्यात्म का सावन।


सुना करते थे मंदिरो में,

नहीं जा सकते बिना किये स्नान,

पहनने पड़ते धुले-धुले वस्त्र,

चर्म पादुका भी है जहाँ अस्त्र।


सुना करते थे मंदिरो में,

नहीं होता है भेदभाव,

भक्तों की करते रखवाली,

मंदिरों के भगवान।


सच यह है तो चूक कहाँ हो गयी,

महज आठ साल की मासूम से,

बलात्कार की घटना कैसे हो गयी,

क्या किसी पंडे-पुजारी की नहीं पड़ी नजर,

या सब थे उसमें शामिल नहीं छोड़ी कोई कसर।


मंदिर भी नहीं छोड़ता, 

नादान बच्ची को बलात्कार से,

कहाँ मर गयी संवेदना प्रेम और भावना,

या हो गये हैं मंदिर बलात्कारियों का ठिकाना|


कितनी निर्ममता और निर्दयता से गुड़िया को हैं रौंदा,

शर्मसार हुई इंसानियत कुकृत्यों को जब देखा,

मिट्टी भी देश की हा-हाकार कर उठी,

बच्ची को तिल-तिल मरते जब देखा।


आसिफा देश अपना महान है,

जाती में परोसता बलात्कार है,

तुम हिन्दू थी या मुस्लिम,

तहकीकात का पहला यही निदान है।


मूक और बहरी सरकार से,

क्या तुम्हें इन्साफ मिलेगा,

क्रंदन ना सुन पाये लाडली का,

फांसी पर उन्हें कौन चढ़ायेगा|

तुम ही धर लो कोई रूप अब,

संहार करने दुष्टों का।


क्योंकि नामर्द हो गयी धर्मान्धता,

पाखंड का फैला राज है,

जल्लाद भी सिहरता होगा,

अंधी धर्मान्धता जल्लादों के पार है।


मंदिरों के भगवानों ने, 

अब संन्यास लेना चाहिए,

मंदिरों की घंटियों ने,

घंटानाद करना बंद करना चाहिए|

अभिषेक, पूजा-अर्चना सब है लगता अब ढकोसला है;

मंदिरों में बच्चों और स्त्रियों के लिए, 

प्रवेश वर्जित होना चाहिए।


इन्साफ ने अब ललकारा है,

न्यायदेवता ने पुकारा है,

नफरतों की आग में,

धर्मान्धता ने चित्कारा है।


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