"ब्रेडचोर"
"ब्रेडचोर"
अचानक लगा बाज़ार में
कोई तूफ़ान आ गया,
खाकी वर्दी में तीन
जवान भागते नजर आए।
ऐसा लगा मानो कोई
आतंकवादी हमला हो गया।
बाज़ार में अफरातफरी
का माहौल बन गया।
बिना जाने बिना पूछे,
सभी तनाव में आ गए।
जल्दी जल्दी दुकानदार
शटर दुकान के गिराने लगे।
मैं खा रही थी गोलगप्पे,
घबराकर बोला ठेलेवाला,
दीदी माफ करना,
अब दुकान मैं भी बढ़ाता हूँ।
गरदन घुमाकर देखा
तो जवानों के पीछे
मोटा थुलथुली तोंद सम्भाले,
लाला भी दौड़ रहा था।
नुक्कड़ पर जाकर
पकड़ ही लिया
उस आदमी को,
जिसके पीछे भागे थे
वो रेल बनाकर।
एक मैले-कुचैले, फटेहाल
गरीब को पीटकर
अधमरा, फिर उन महान
वीरों ने कर दिया।
लाला ने तोंद सम्भालते हुए
जड़ें दो-चार घूंसे और लात।
दहाड़ा फिर वो जोर से
चोर, दिखा अपना तू हाथ।
कान के नीचे थप्पड़ टिकाकर,
जवान ने डंडा जमाकर पूछा,
क्या चुराकर भागा तू
लालाजी के दुकान से?
उस असहाय डरे हुए गरीब ने,
कांपते हुए हाथ अपना बढ़ाया।
देखकर उस भीड़ में खड़ा हर
व्यक्ति, नज़रें चुरा शर्मसार हो गया।
गरीब के पसीने से डूबे हाथ में धरा,
वो ब्रेड का आधा टुकड़ा,
सभी को पानी-पानी कर गया
मानवता की धज्जियां फिर उड़ गई।
भीड़ छंट गई मिनटों में,
लोग चल दिए अपने रास्ते।
ठेलेवाला बोला, दीदी रुको
मैं पल भर में आता हूँ।
लाया वो सम्मान से बुला
उस गरीब पिटे हुए ब्रेडचोर को,
गोलगप्पे-टिक्की खिला,
भरपेट साथ में बांध दिया।
मैंने इसके पैसे देने चाहे
बोला वो ठेलेवाला दीदी,
भगवान ने इतना दिल दिया है,
कि भूखे को खिला सकूं।
मैं नतमस्तक हो गई,
मानवता शायद जिंदा है,
लाला ने मार डाली है,
ठेलेवाले ने जिंदा रखी है।