वे आखिर महाशक्ति जो ठहरे !
वे आखिर महाशक्ति जो ठहरे !
वे दुनिया की हलचलों पर धूर्त बगुले जैसी नज़रें रखेंगे,
वे स्वयं को मानवाधिकारों के रक्षक बतलाएंगे,
जब खुद पर आन पड़ी आक्रांतता तो वे आतंकवाद का भक्षक बन जाएंगे ।
वे अपना हित- साधन हेतु हर हद तक गिर सकते हैं ,
फिर भी अपनी गिरेबान में झाँककर दुनिया को
शांति का उदारवादी लोकतंत्र का पाठ पढ़ाएंगे !
वे खुद को शांति दूत बतलाएंगे!
एक तरफ वे 'जलवायु कार्रवाई ' हेतु नीतियाँ बनाकर
वैश्विक मंचों पर अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर करेंगे,
तो दूसरी तरफ विध्वंसक रासायनिक हथियारों धड़ल्ले
से निर्माण करेंगे,
अब उन्हें इस दोहरी बहरूपिये की भूमिका पर कौन टोक सकता है ?
आखिर वो महाशक्ति जो ठहरे !
वे कुछ भी कर सकते हैं ?
कितना भी गिर सकते हैं !
कभी वो वियतनाम, अफगान में बमवर्षक बरसायेंगे ,
तो कभी ईराक, कुवैत, सीरिया को युद्ध का अखाड़ा बनाएंगे !
वे फिर भी खुद को मानवाधिकारों के हिमायती कह खुद का पीठ थपथपाएंगे !
उन्हें कौन रोक- टोक सकता है ?
आखिर वो महाशक्ति जो ठहरे !
