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Shristi Singh

Action Crime

4  

Shristi Singh

Action Crime

कोई तो सुनो हमारी चीख

कोई तो सुनो हमारी चीख

2 mins
350


चीख छुपाती है जो दुनिया वह चीख सुनाना चाहती हूं ,

इश्क ,मोहब्बत ,प्यार नहीं बचपन में बचाना चाहती हूं। 


सालों लड़ाइयां जो खुद से हारी है, खुशियां जो अपनों के बीच दफन आई है ,


धुंधली सी यादें जो समझ नहीं आती है बड़े होते होते जो जहन में रह जाती है। 


लड़कियां ही क्यों उनके साथ ही क्यों ?

बिन पानी से रोती बहती है आंखें बांटे वह गम किससे जाके? 


आग लगा शरीर , खोलता हुआ जिस्म, आंखें हुई लाल, मुस्कान जली है जानते हो वह लूटकर कितनी बार लूटी है? 

आंखों से ,नाखूनों से, बालों से, जज्बातों से ,लोगों के तारों से ,शरीर पर लगी हर छालों से बोल उठी है। 


इस देश के हर एक दरबार में लूट रही है ,और कितनी कहानियां सुनाऊं मैं

वह जो बच्ची बचपन में लूटी थी बड़ी कैसे हुई कैसे सुनाऊं मैं?

बाथरूम में बंद होकर रोने लगी है बाहर आकर हंसने लगी है

देखो वह कब कैसे दुल्हन सी सजी है। 


इस देश में बेटियों को सीता बनाने की कोशिश की जाती है, 

ढाका सा तन, पवित्र सा मन , बोले ऐसी वाणी की मोह ले वह सबका मन।


पर बेटों को पुरुषोत्तम राम बनाने की कोशिश क्यों नहीं कराई जाती है? 


जब लड़कियां घर के अंदर घुट घुट के मरती है, 

जब एक नन्ही सी जान कोई शोषण के डर से डरती है ,

 

जब नन्ही बच्ची से ज्यादा उस भेड़िया की हवस बनी ,

जब उस भेड़िए के करतूतों से एक बच्ची मर गई ,


जब खेलती कूदती बच्चियों ने घर में डेरा डाला है ,

जाने कौन से डर से बचपन को दिल से निकाला है? 


क्यों जलना पड़ता है बेटियों को ही ,

कभी उस मोमबत्ती के लो पर रखो उस भेड़िए को भी। 


एक रात में सरकार बदल देते हैं , एक रात में नोट बदल देते हैं,

फिर क्यों इन भेड़ियों को फांसी देने में सबूत के लिए रुक जाते हैं? 


होता है इंसाफ 10-10 सालों के बाद ,

तब तक ये भेड़िया और बेटियों को नोच खाते हैं। 


देश की लड़कियां लोग ना समझेंगे तुझको,

खड़ी हो खुद के इंसाफ के लिए चलो दिखाएं काली का रूप। 


सड़कों पर चले बिना खौफ के, 

नोच लो उन भेड़ियों की आंखों को जो देखे तेरी ओर,

काट दो उन जवानों को जो कहे तुम्हें कुछ और,

काट दो उन जवानों को जो कहे तुझे कुछ और..... 



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