Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shristi Singh

Tragedy

4  

Shristi Singh

Tragedy

मजबूर या मजदूर

मजबूर या मजदूर

1 min
239


वो बच्चे खेलने की उम्र में मजदूर होते हैं ,

किसी को सोख थोड़ी ही है यह मजबूर होते हैं। 


गरीबी लाचारी से बचपन खो गया है इनका,

ना रहने का ठिकाना न खाने का। 


चाहिए थी इनका कंधों पर किताबों का बोझ ,

पर आ गया उनके कंधों पर कचरे का बोझ। 


दो वक्त की रोटी के लिए काम करना,

अब शायद तकदीर बन गई है इनकी। 


क्यों जमाने में निगाहें इन पर नहीं पड़ती ,

इनके आंखों में भी पालते हैं मासूम सपने,

पर पेट की भूख के चलते गला तब कर रह गए इनके सपने।

 

कूड़े की ढेर पर पलता है इनका बचपन,

शायद ईश्वर इन्हें इनका हक देना भूल गए इस संसार में। 


बच्चा भविष्य है इस देश का,

पर क्यो हमारे भारत का भविष्य कूरे की ढेर में नजर आ रहे हैं? 


जिस मैदान पर इन्हें खेलना था, 

 इनको साफ करना इनका जीवन बना। 

पेट भरना होता क्या है? 

आज तक इन्हें मालूम नहीं।

चैन की नींद सोना क्या है?

आज तक उसने जाना नहीं। 


बाल मजदूरी पाप है यह नियम तो हमने बना दिया, 

 यह उसकी हित में है या उसका जीवन कठिन बना दिया? 


जिनकी कोमल जिंदगी पर बस मजबूरी ही लहराए ऐसे अभागे जिंदगी कोई शायद हमने बाल मजदूरी का नाम दिया। 


Rate this content
Log in