श्री कृष्ण
श्री कृष्ण
मैं कभी तुम पर अधिकार करना नहीं चाहती,
कभी तुम्हें प्राप्त करना नहीं चाहती,
क्योंकि प्रेम भी लक्ष्य की ही भाती,
पाया नहीं जीया जाता है।
पाने और खोने का उपकरण व्यापारी
का होता है पुजारी का नहीं,
और तुम मेरे लिए पूजा हो।
मैं कभी तुम पर अधिकार करना नहीं चाहती,
कभी तुम्हें प्राप्त करना नहीं चाहती,
क्योंकि प्रेम भी लक्ष्य की ही भाती,
पाया नहीं जीया जाता है।
पाने और खोने का उपकरण व्यापारी
का होता है पुजारी का नहीं,
और तुम मेरे लिए पूजा हो।