गुरु दक्षिणा
गुरु दक्षिणा
याद करो वो पहला दिन
कक्षा में जब तुम आए थे
आँखों में आँसू लेकर तुम
कुछ पुस्तक लेकर आए थे
कमज़ोर कदम, धुंधली नज़रें
बे-मक़सद, तुम "घबराए" थे
मम्मी पापा को याद किया
तब कितने तुम अकुलाए थे!
याद करो वो पहला दिन
कक्षा में जब तुम आए थे
ऐसे में मैने हाथ पकड़
आखों में स्वप्न जगाए थे
क ख ग का मतलब समझा
स्वर-व्यंजन याद कराए थे
याद करो वो पहला दिन
कक्षा में जब तुम आए थे
रंगों से पहचान करा
कितने ही चित्र बनाए थे
बे-मतलब के चित्रों पे
हम-तुम कितना ही मुस्काये थे
याद करो वो पहला दिन
कक्षा में जब तुम आए थे
मेरी कितनी कृतियों पे
किस्सों पे तुम इतराए थे
परी लोक के गीतों पे
कितने ही कदम थिरकाए थे
याद करो वो पहला दिन
कक्षा में जब तुम आए थे
धीरे-२ तुम बड़े हुए
कुछ धीर हुए गंभीर हुए
कभी अनायास ही हुए मौन
अगले ही पल शैतान हुए
जीवन रिश्तों के ग़ूढ अर्थ
तुमको मैने समझाए थे
सारे ही रत्न तुम्ही में हैं
कुछ मूल मंत्र बतलाए थे
याद करो वो पहला दिन
कक्षा में जब तुम आए थे
जीवन फूलों की सेज नही
कितने ही राज़ बताए थे
चलते रहना, हंसते रहना
"जीवन" के गीत सुनाए थे
याद करो वो पहला दिन
कक्षा में जब तुम आए थे
तुम और बढ़े, कुछ और पले
मित्रों संग आगे और चले
जीवन के मूल्यों से हटके
राहे भटकी, मक़सद भटके
तुमको फिर मैने समझाया
पथ-भ्रष्ट न हो, फिर सहलाया
जीवन दर्शन का ज्ञान करा
आँखों में फिर एक स्वप्न दिया
जब आया वक़्त बिछूड़ने का
तुम आए फिर मुझसे मिलने
एक बीज उगा, और वृक्ष बना
आँखों से अश्रु लगे गिरने
तब तुमने मुझसे पूछा था
क्या दूं तुमको "जीवन दाता"
मैने आँखों में डाल आँख
सिर्फ़ एक वचन ही था माँगा
दुनिया में अब तुम जाते हो
मेरी शिक्षा ना बिसराना
आँधी आए, पतझड़ आएँ
तुमको है हमेशा मुस्काना
जीवन में जो भी बनना तुम
कोशिश करना "इंसान" बनो
धरती पे जब तक रहो कहीं
"इंसान" का तुम सम्मान करो
रिश्तों की गरिमा का तुमको
जीवन में हर पल ध्यान रहे
मां-पिता-गुरु के ऋणी हो तुम
ये अंत समय तक ध्यान रहे
जब कहो अलविदा दुनिया को
बस ऐसा कुछ तुम कर जाना
तुम मुस्काओ, दुनिया रोए
हर आँख में आँसू भर जाना
फूलों से महकी "शैया" हो
आवाम तुम्हारे साथ चले
हर गली-२ में शोक मने
ध्वज-राष्ट्र तुम्हारा कफ़न बने।