कर्म परायण जीवन
कर्म परायण जीवन
आज यहाँ कल वहाँ परिंदे
कहीं ना तू सुख पाए
सुख की खोज में उड़ते-२
जीवन दिया बिताए।
जीवन की फूलों के सेज नहीं
तू क्यों ये समझ ना पाए ?
ख्वाबों में जीवन जीता
जीवन में ख्वाब सजाए !
अपना सब कुछ न्योछावर कर
मन ही मन मुस्काये
जीत उन्ही की होती है
जो कर्मवीर कहलाए।
कर्मशील व्यक्ति जीवन में
दुख में भी सुख पाए
औरों का जीवन महकाय
हर पल वो सुख पाए।
कर्मठ व्यक्ति जीवन के
बंजर में फूल खिलाए
जहाँ कहीं वो पग रखे
मिट्टी सोना उपजाये !
