वो - तुम ही हो =============
वो - तुम ही हो =============
मेरे नन्हे क़दमों को
चलना सिखलाया
थामे मेरे हाथ
मुझे लिखना सिखलाया
रंगों से पहचान करा
रंगना सिखलाया
अभिनय कर - मेरा
ये सूना मन बहलाया
शब्दों रूपी मोती का
ये हार बनाया
शब्दों से वाक्यों का
सुन्दर मेल कराया
मेरी धुंधली आँखों में
एक स्वप्न सजाया
रिश्तों का प्यारा
मुझको मतलब समझाया
आशा, ममता, हिम्मत भर
फौलाद बनाया
हाँ तुम ही हो
जिसने मुझको
जीना सिखलाया।

