विश्व पर्यावरण दिवस - धरती माँ का श्रृंगार
विश्व पर्यावरण दिवस - धरती माँ का श्रृंगार
आओ हम सब मिलकर के,
धरती माँ का श्रृंगार करें
कुछ मनन करें, कुछ जतन करें,
हरियाली का संचार करें! ||1||
जीवित धरती, सुंदर धरती,
फिर हम क्यों ऐसा काम करें?
कूड़ा करकट क्यों फ़ैलाएँ
क्यों धरती को बदनाम करें! ||2||
कचरे के ढेर लगा कर के,
जल वायु को संक्रमित किया
हरा भरा, सुंदर जीवन
ये- क्यों हमने "शमशान' किया? ||3||
नदियों को माता कहते,
पूजा करते, आदर करते
फिर क्यों हमने उन नदियों को
नालों में है तब्दील किया? ||4||
दूर ग्रहों पे कूच किया,
आधुनिकता का संवाद किया
अपनी ही धरती को हमने,
ये कैसा “नासूर” दिया? ||5||
धरती मां, सबका ख्याल करे
हर जाति, कुल का ध्यान करे
फिर क्यों ना हम सब जग जाएँ
कुछ ऐसा जग में कर जाएँ! ||6||
तो, आओ, हम सब मिलजुल कर
कोने-२ को सॉफ करें
घर, अंदर, बाहर, गली-२
कूड़े, कचरे का नाश करें! ||7||
जब चमकेंगे सब गलियारे,
तब दूर मिटेंगे अँधियारे
हर चेहरे पर रौनक होगी
सामर्थ्य और शक्ति होगी| ||8||
घर, आँगन हो, या विद्यालय
हो सड़कें, या फिर देवालय
हम सबकी ज़िम्मेदारी है
स्वच्छता में भागेदारी है| ||9||
भारत भूमि का मान करो
खुद पे तुम अभिमान करो,
संतों की पावन भूमि ये
कुछ तो इसका सम्मान करो| ||10||
हैं जीव, जन्तु विस्तृत प्रकार
सबको जीने का अधिकार
क्यों उनकी साँसे करते कम!
पहले से हैं क्या, कम कुछ गम? ||11||
सार्वजनिक स्थानों को
अपना जानो- अपना मानो
ना करो गंदगी स्वयं कभी
ना करने दो - इतना जानो| ||12||
