ज्ञान चक्षु खोल के पराई केंद्र
ज्ञान चक्षु खोल के पराई केंद्र
ज्ञान चक्षु खोल
के पराई केंद्र
आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
किसने सोचा था
कोचीन धंधा बड़ा
बड़े बड़े विज्ञापन
ज्ञान चक्षु खोल
के पराई केंद्र
आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
ऐसी कहावत चरितार्थ
सोना तपता जितना
उतना ही निखरता
ज्ञान चक्षु खोल
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
इस आशय की और कहावत
जिनका तात्पर्य यही
कुछ पाने को कष्ट
उठाना ही पड़ता
ज्ञान चक्षु खोल
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
बहुत सारी व्यवस्थाएं
ऐसी कहावत का दुरुयोग
दूसरो को कष्ट देते
तकलीफ देता
अपने फायदे खुशी
ज्ञान चक्षु खोल
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
ऊपर से एहसास जताते
भलाई सामनेवाले की
गंभीर दुरुयोग शिक्षा क्षेत्र
मान लिया गया
ज्ञान चक्षु खोल
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
शिक्षा पाने की प्रक्रिया
जितनी तकलीफ
उतना बेहतर
कोशिशें सफलतापूर्वक होती
शिक्षा जहां तक हो सके
नीरस कष्टप्रद हो
ज्ञान चक्षु खोल
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
पुराने दौर प्रक्रिया शिक्षा
ज्यादा प्रक्रिया प्रभावी
छात्र पीटने का चलन
स्तिथि कला पानी जेल
छात्र यातना
देने
नई नई तरीके ईजाद
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
पीटकर कोई छात्र
सोने जैसा निखरा हो
अलबत्ता पिटे छात्र
अपराध का क्षेत्र
बहुत तरक्की अपार
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
पिटाई अब ना माहौल
यातना की कई आधुनिक
कई नई तरीके ईजाद
सबसे संगठित तरीका
कोचीन संस्थाएं
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
था किसने सोचा
छात्र गन्ने की तरह पेरना
धंधा इतना बड़ा
बड़े बड़े खिलाड़ी
बड़े बड़े फिल्मी सितारे
दिखते विज्ञापन करते
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
पेरने से जो रस निकलता
जुड़े उद्योगी करते
छात्र सूखे छिलके
सिर्फ ईंधन बनाना काबिलियत
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
अब ऐसा लगता
कोचीन छात्रों का नही
बल्कि छात्र कोचीन उद्योग
सिर्फ एक कच्चा माल
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
कभी कोई सोचा
आग में तपता कोई
सोना किसी और की नसीब
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आग में तपे सोना
कुंदन बन जग
झोली भरे गैर !
निर्मुणी@संजीव कुमार मुर्मू