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"निर्मूणी"@ संजीव कुमार मुर्मू

Children Stories Crime Children

4.5  

"निर्मूणी"@ संजीव कुमार मुर्मू

Children Stories Crime Children

ज्ञान चक्षु खोल के पराई केंद्र

ज्ञान चक्षु खोल के पराई केंद्र

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ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


किसने सोचा था

कोचीन धंधा बड़ा

बड़े बड़े विज्ञापन


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


ऐसी कहावत चरितार्थ

सोना तपता जितना 

उतना ही निखरता


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


इस आशय की और कहावत

जिनका तात्पर्य यही

कुछ पाने को कष्ट 

उठाना ही पड़ता


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


बहुत सारी व्यवस्थाएं

ऐसी कहावत का दुरुयोग

दूसरो को कष्ट देते

तकलीफ देता

अपने फायदे खुशी 


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


ऊपर से एहसास जताते

भलाई सामनेवाले की 

गंभीर दुरुयोग शिक्षा क्षेत्र

मान लिया गया


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


शिक्षा पाने की प्रक्रिया

जितनी तकलीफ

उतना बेहतर

कोशिशें सफलतापूर्वक होती

शिक्षा जहां तक हो सके

नीरस कष्टप्रद हो


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


पुराने दौर प्रक्रिया शिक्षा 

ज्यादा प्रक्रिया प्रभावी 

छात्र पीटने का चलन

स्तिथि कला पानी जेल

छात्र यातना

देने

नई नई तरीके ईजाद


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


पीटकर कोई छात्र

सोने जैसा निखरा हो

अलबत्ता पिटे छात्र

अपराध का क्षेत्र

बहुत तरक्की अपार


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


पिटाई अब ना माहौल

यातना की कई आधुनिक

कई नई तरीके ईजाद

सबसे संगठित तरीका

कोचीन संस्थाएं


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


था किसने सोचा 

छात्र गन्ने की तरह पेरना

धंधा इतना बड़ा

बड़े बड़े खिलाड़ी

बड़े बड़े फिल्मी सितारे

दिखते विज्ञापन करते


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


पेरने से जो रस निकलता

जुड़े उद्योगी करते

छात्र सूखे छिलके

सिर्फ ईंधन बनाना काबिलियत


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


अब ऐसा लगता

कोचीन छात्रों का नही

बल्कि छात्र कोचीन उद्योग

सिर्फ एक कच्चा माल


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


कभी कोई सोचा

आग में तपता कोई 

सोना किसी और की नसीब


ज्ञान चक्षु खोल

के पराई केंद्र

आग में तपे सोना 

कुंदन बन जग

झोली भरे गैर !


निर्मुणी@संजीव कुमार मुर्मू 


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