दबंग
दबंग
किसके दम पर दबंगई करता है
दबंग
अपनी ताकत से
पैदा करता है / भय
देता है सरे राह धमकियां
करता है पिटाई, धुनाई और धुलाई
नहीं माने, तो तोडता है
हाथ-पाँव सरिये से
फिर भी नहीं माने तो
अपहरण, बलात्कार और आगजनी
अंततः हत्या
डरो/ ताकि वे बेख़ौफ़ कर सके वारदात
कोई सबूत नहीं पुलिस के पास
कैसे करेगा दण्डित कोर्ट?
शासन करती है सरकार हम पर
राज्य सत्ता का दंड उसके हाथ में है
पुलिस कस्टडी, थर्ड डिग्री,
एफ.आई.आर. मुक़दमा, जेल,
खुफिया तंत्र ये सब भय पैदा करते है.  
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पहला भय अवैध है
दूसरा वैध
तो इस वैध तंत्र की दबंगई
संविधान और कानून के पार
जेल में सड़ा देती है
बीस बीस साल बाद
लगता है पता
कि कोई सबूत नहीं है
रिहा करती है कोर्ट
एनकाउंटर भी यही
वैध तंत्र करता है
राष्ट्र के नाम
विरोध करने वालों पर पुलिस फायरिंग
मार दिए सैंकडों.
मानवता/मानवीय गरिमा के विरुद्ध
की गई कार्यवाही
शक्ति संपन्न मदांध को अपने आगे कहाँ दिखती है
कितनी शहादत देगा जन जन
और कब तक ?
इस तंत्र को ध्वस्त करने के लिये.