प्रार्थना
प्रार्थना
छू जाती है पहली बारिश की बूंदें
तपते नंगे बदन पर
घायल कबूतर के पंखों को हाथों से सहलाते/
फूलों की पंखडियों पर इतना नाजुक स्पर्श कि कहीं वे खिर न जाएं
रोती हुई आँखों पर हाथों का स्पर्श
और आँखों की भाषा
असहाय व्यक्ति को धीरे से संभालते हुए,
उसे सांत्वना और सहारा दो
उगते सूरज की किरणों का स्पर्श प्रार्थना बन जाय
चांदनी बरस जाय और हमारी आत्माओं को स्पर्श कर जाय.
जलतरंगों का स्पर्श प्रफुल्ल कर दे
हमारे तन मन को
और नाच उठे, गा उठे जलतरंगों के साथ
बांसवन की ऊँची कलियों का स्पर्श
इनमे यह कोमलता कहाँ से आती है
यह राग रंग रस कहाँ से उठता है और मैं उसमें डूब जाता हूँ.