तेरी धड़कनों को सुनती हूँ, सबसे करीब तुझे रखती हूँ, सब अदाओं पे मरती हूँ, बस, उजाले के लिए... ही ... तेरी धड़कनों को सुनती हूँ, सबसे करीब तुझे रखती हूँ, सब अदाओं पे मरती हूँ, बस, ...
मधुर मिलन की बेला में बिरहन शाम भी रोती है। मधुर मिलन की बेला में बिरहन शाम भी रोती है।
अपना घर-द्वार संवारी हूँ मैं हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।। अपना घर-द्वार संवारी हूँ मैं हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
कभी कभी मगर समय आने पर पत्थर भी बन जाती हूँ। कभी कभी मगर समय आने पर पत्थर भी बन जाती हूँ।
कुछ पल के लिए, जब कमर पर ब्रश उसने चलाया होगा। कुछ पल के लिए, जब कमर पर ब्रश उसने चलाया होगा।
प्रकृति से चुन भावों के रंग, बनकर कवि स्वयं चित्रकार प्रकृति से चुन भावों के रंग, बनकर कवि स्वयं चित्रकार