हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं
हे मात-पिता, आभारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं।
फूलों सी कोमलता मुझ में
फिर भी तेज़ कटारी हूँ मैं।
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं।।
किरणों के संग आँखें खोलूँ
देर रात तक काम में डोलूं,
हिम्मत कभी ना हारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
मन में चलता द्वंद है
सोच मगर स्वच्छंद है।
नवजीवन संचारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं
नन्हा सा इक दिल रखती हूँ
अरमानों को सिल रखती ह
ूँ।
अपना घर-द्वार संवारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
ममता की इक मूरत भी हूँ
क्षमता की इक सूरत भी हूँ,
निभाती ज़िम्मेदारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।
एक पंथ सौ काज हूँ करती
विपदाओं से कभी ना डरती।
इक तलवार दो-धारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं।।
सबसे प्रेम - भाव से रहती
सुख-दुख सारे हँस के सहती।
घर - परिवार की प्यारी हूँ मैं
हाँ, इक गर्वित नारी हूँ मैं ।।