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Raja Sekhar CH V

Abstract Crime Others

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Raja Sekhar CH V

Abstract Crime Others

राहगीर

राहगीर

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आएंगे जाएंगे कितने ही रेहनुमाएँ राहगीर,

हुकूमत सियासत नहीं है किसी की जागीर,

कोई भी हमेशा नहीं रह सकता है जहाँगीर,

कभी तो टूटेंगे ही बेईमानी गबन के ज़ंजीर ।१।


कभी था पराये फिरंगियों का क़ातिलाना दौर,

आज है अपने ही बाशिंदों का ज़ालिमाना दौर,

अब ख़त्म नहीं हुआ किसी के खुदगर्ज़ी का दौर,

नहीं पता कब आएगी खरे खरे सच्चाई का दौर ।२।


पहले परदेसी ग़ैरों ने ढाया सुलगते सितम,

अब अपने ही सिपहसालार से मिले सितम,

सबके सब हैं बेपरवाह बेअदब बेहया बेरहम,

दग़ाबाज़ी नीयत का नहीं है कोई भी मल्हम ।३।


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