डोर के कान्हे से, बँधी वो मेरे हृदय से थी। पतंग मेरी परदेशी हो गयी, डोर के कान्हे से, बँधी वो मेरे हृदय से थी। पतंग मेरी परदेशी हो गयी,
कभी था पराये फिरंगियों का क़ातिलाना दौर, आज है अपने ही बाशिंदों का ज़ालिमाना दौर कभी था पराये फिरंगियों का क़ातिलाना दौर, आज है अपने ही बाशिंदों का ज़ालिमाना दौ...
परदेसी पिया आ जाओ तुम इस बार होली में। इंतजार में तेरे बैठी हूँ भर के रंग पिचकारी में। परदेसी पिया आ जाओ तुम इस बार होली में। इंतजार में तेरे बैठी हूँ भर के रंग पिच...
नई स्थिति के लिए स्वयं को बदलना। शायद यही होता अनुकूलन। नई स्थिति के लिए स्वयं को बदलना। शायद यही होता अनुकूलन।
परदेसी कब आना अपने घर, बनो वधू और हम तुम्हारे वर। परदेसी कब आना अपने घर, बनो वधू और हम तुम्हारे वर।