कभी था पराये फिरंगियों का क़ातिलाना दौर, आज है अपने ही बाशिंदों का ज़ालिमाना दौर कभी था पराये फिरंगियों का क़ातिलाना दौर, आज है अपने ही बाशिंदों का ज़ालिमाना दौ...
नींद न जाने क्यों आजकल खफा खफा है दर ओ दीवारों से गुम हो चुकी वफ़ा है। नींद न जाने क्यों आजकल खफा खफा है दर ओ दीवारों से गुम हो चुकी वफ़ा है।